अभी पिछले सप्ताह एक धाम पर जाने का सोभाग्य प्राप्त हुआ, नाम नही बता रहा क्योंकि पता नही कोई बुद्धिमान अपनी सोच अनुसार objection उठा ले।
मैंने वहाँ दर्शनार्थियों के दौ रूप देखे पहला रूप जो अर्जी लगाने आते हैं, आप हमारी यह मदद किजिए हम आपके सदा शुक्रगुज़ार रहेंगे।
यह लोग मंदिर का हर protocol कानून या नियम मानकर follow करेंगे।
अब दुसरे दर्शनार्थी जो लोग वापस मिलने आते हैं, अब वो मिलने आए है तो उनको उनका प्रेम बुलाकर लाता है, और आप प्रेम से अपने किसी मित्र या प्रेमी से मिलने आते हैं
यह लोग नियम या कानून से थोडे परे होते है।
क्योंकि ( कभी कभी भगवान् को भक्तों से काम पडे, जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढे। )
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