बालाजी विश्वनाथ ब्राह्मण था , उसने अपना जीवन एक छोटे से राजस्व अधिकारी के रूप में प्रारंभ किया था। बालाजी विश्वनाथ ने राजा साहू को अपने दुश्मनों को कुचलने के काम में उसने अपनी निष्ठा पूर्ण और जरूरी सेवा दी। बालाजी विश्वनाथ कूटनीति में बेजोड़ था , उसने अनेक बड़े मराठा सरदारों को साहू की और कर लिया। राजा साहू ने बालाजी विश्वनाथ को 1713 में उसे पेशवा या मुख्य प्रधान बनाया। ( important) बालाजी विश्वनाथ ने धीरे धीरे राजा साहू और अपना आधिपत्य मराठा सरदारों और अधिकांश महाराष्ट्र पर कायम किया। वस्तुत वह और उसका बेटा बाजीराव प्रथम ने पेशवा को मराठा साम्राज्य का कार्यकारी प्रधान बना दिया। 1714 में बालाजी विश्वनाथ औरंगजेब के मकबरे तक पैदल चलकर खुल्दाबाद गया तथा उसके प्रति सम्मान व्यक्त किया।1719 में बालाजी विश्वनाथ सैयद अली खां के साथ दिल्ली गया और फर्रूखसियर का तख्तापलट पलट करने में सैयद बंधुओं की मदद की । दिल्ली में उसने और अन्य मराठा सरदारों ने साम्राज्य की कमजोरी को स्वयं देखा। बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु 1720 में हो गई (important) ————————————————————————————————————————————————————बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु 1720 में होने के बाद , उनकी जगह उनके 20 वर्ष के बेटे बाजीराव प्रथम ने ली। युवा होने के बावजूद एक निभिक और प्रतिभावान सेनापति तथा महत्वकांक्षी और चालाक राजनेता था। उसे “शिवाजी के बाद गुरिल्ला युद्ध का सबसे बड़ा प्रतिपादक ” कहा गया है। बाजीराव के नेतृत्व में मराठों ने मुगलों के खिलाफ अनगिनत अभियान चलाए । 1740 मे बाजीराव की मृत्यु हो गई , महज 40 वर्ष में ( important) बाजीराव के मरने से पहले मराठों ने मालवा , गुजरात , और बुंदेलखंड के हिस्से पर अधिकार कर लिया। इसी काल में मराठों के गायकवाड़ , होल्कर , सिंधिया , और भौंसले परिवारों ने प्रमुखता प्राप्त की । ————————————————————————————————————————————————————
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