पहले तो बता दूँ मै कोई इकोनॉमी का जानकार नही हूँ, बस इन 40 वर्षों मे जो देखा समझा उस पर जरुर बात कर सकता हूँ।

1 महंगाई हमे धीरे धीरे खोखला करती है, और आज के बड़े से बडे बिजनेस मैन इस बात से बिलकुल अनजान है, ( every action is equal and opposite reaction) सरल भाषा मे बोलू तो अगर मे बेसण ज्यादा महंगा बेचुगा तो मुझे पकोड़े के लिए भी उतने ज्यादा पैसे खर्च करने होगे। हिसाब बराबर ही होगा।

2 आप आज युरोप, USA, England, कहीं भी देख लो मंहगाई की मार है और intrest rate बढाने को मजबूर।

यह उनकी गलती का नतीजा है जब recession आया तो उन्होंने पैसे छापे और खुद ही अपने पैसे की किमत घटा दी, अब जब मेरे पास बिना सही किमत चुकाए पैसा है तो मे मार्केट को disturb करूँगा ही,



उदाहरण — जिस घर की किमत 100000 लाख रुपये है मै उसे खरीदने के लिए 250000 लाख तक चला जाऊगा, मैंने किमत तो बढ़ा दी पर डिमांड नही बढी। मार्केट का disbalance होना तय है।

3 मै यहाँ विदेश की बात नही करने के लिए यह पोस्ट लिख रहा हूँ, वह उनकी problem है और वो solve कर लेंगे।

4 मै इंडिया और उसके 2047 के लक्ष्य पर बात कर रहा हूँ, अगर हम भी वही गलती करेंगे तो 2047 के बाद शायद हमारी जनरेशन भी यही सब problem face कर रही होगी।

5 मैंने अपने 40 साल के जीवन मे मंहगाई को सिर्फ बढते देखा है कभी घटते नही देखा, जो मिर्ची बड़ा 5 रूपये मे मिलता था आज 22 रूपये हो गया अब हमारी कमाई बढी पर खर्च भी बढ गया। हिसाब बराबर।

6 सीधी सी बात है आप मुझे दुध 100 रूपये लीटर दिजिए मे आपको चाय 25 रूपये कप इस अंधी दौड़ का कोई अंत है ही नही।

7 बिजनेस मैन अपना profit ज्यादा करने के चक्कर मे price बढा रहा है, पर उसी मंहगाई की वजह से अच्छा employee ज्यादा salary देकर रोकना पड रहा है। हिसाब बराबर

8 हम यह नही कह रहे की price बढना नही चाहिए पर जब raw materials सस्ता हो तो price घटना भी चाहिए। एक तरफ का रास्ता कभी सही मंजिल पर नही ले जाता।

9 हम जब 2011 की बात करते हैं जोधपुर से बिकानेर जाने के 200 रूपये टिकट लगता था, पेट्रोल मंहगा हो गया फिर 250 , फिर 350 , फिर 400 , अब आप बताईये जब पेट्रोल मंहगा था तब टिकट प्राईस बढा तो ठीक है, परन्तु पेट्रोल डीजल 2014 के बाद नीचे आया फिर भी टिकट की कीमत ऊपर ही रही, अब पढा लिखा आदमी पागल तो है नही की उसे यह बात समझ ना आए।

तो जो किराणे का व्यापारी था उसने गेहूँ और दाल मंहगा बेचा, अध्यापक ने अपनी फिस बढ़ा दी, टैक्सी ड्राइवर ने गाड़ी भाडा, सब्जी वाले ने सब्जी मंहंगी बेची। बस महंगाई का ऊपरी सर्किट चालू हो गया। अब सबके सब एक दौड मे शामिल है जिसका कोई अंत है ही नही तो थकना तय है। आज नही तो कल ( ये पक्का कह सकता हूँ )

विश्र्वास ना हो तो पडोसी देश को देख लो इतना तेज दौड़ा की थक गया और अब fuel खत्म हो गया, समझदार को ईशारा काफी है।

10 समय रहते oneway को 6 lane wala highway बना दिजिए नही तो वो दिन दूर नही जब आटा 1000 रूपये किलो होगा और लोग 2000 रूपये किलो की बोली लगा रहे होंगे।

Note — हमारे द्वारा अपना अनुभव शेयर किया गया है, हम ना तो किसी देश या विदेश की नीति पर बात कर रहे है और ना हम यह दावा कर रहे है की हम जानकार है।

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