1— भारत के व्यापारिक संबंध यूरोप के साथ बहुत पुराने थे , यह संबंध यूनानियों के जमाने के है ।
2— मध्यकाल में यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ भारत का व्यापार अनेक मार्गो से चलता था। एशिया में इस व्यापार का अधिकांश भाग अरब व्यापारियों और जहाजियों द्वारा चलाया जाता था।
3— 1453 में उस्मानिया सल्तनत ने जब एशिया माईनर को जीत लिया और कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लिया तो पूर्व और पश्चिम के बीच पुराने व्यापारिक मार्ग तुर्कों के नियंत्रण में आ गए।
4— इसके अलावा यूरोप और एशिया के व्यापार पर वेनिस और जेनेवा के व्यापारियों का अधिकार था , वे पश्चिमी यूरोप के नए राष्ट्रो , खासकर स्पेन और पुर्तगाल को इन पुराने व्यापारिक मार्गो से होने वाले व्यापार में भागीदार नहीं बनाना चाहते थे। इसलिए पश्चिमी यूरोप के देश और व्यापारी भारत और इंडोनेशिया के स्पाइस आइलैंड ( मसाले के द्वीप ) के लिए नए और अधिक सुरक्षित समुद्री मार्गो की तलाश करने लगे।
5— स्पाइस आइलैंड ( मसाले का द्वीप ) को तब ईस्ट इंडीज के नाम से जाना जाता था।
6— 15 वी सदी में जहाज निर्माण और समुद्री यातायात में बहुत प्रगति हुई थी ।
7— पश्चिमी यूरोप के लोगों में दुस्साहसी कार्य करने की भावना खूब भरी हुई थी।
8— इस दिशा मे पहला कदम पुर्तगाल और स्पेन ने उठाया , इन देशों के नाविकों ने अपनी अपनी सरकारों की सहायता से और उनकी आज्ञा पर भौगोलिक खोजो का महान युग आंरभ किया।
9— 1492 में स्पेन का कोलंबस भारत को खोजने निकला था , लेकिन वह अमेरिका की खोज कर बैठा।
10— 1498 में पुर्तगाल के वास्कोडिगामा ने यूरोप से भारत तक का नया और पुरी तरह से समुद्री मार्ग ढूंढ निकाला।
11— वह केप ऑफ गुड होप होते हुए अफ्रीका का पूरा चक्कर लगाकर कालीकट पहुंचा।
12— वह जिस माल को लेकर वापस लौटा वह पूरी यात्रा की कीमत के 60 गुना दामों में बिका ।
13— 17 वी और 18 वी सदी में विश्व व्यापार में बेहद बढ़ोतरी हुई। यूरोप को अब एक खूब लंबा चौड़ा अमेरिकी महाद्वीप उपलब्ध हो गया और यूरोप एशिया के संबंध पूरी तरह बदल गए। ——————————————————————————#indianhistory #history #competitionexam #exam #sabziimandi