आजकल एक topic बहुत सुनाई दे रहा है , फिल्मों से बच्चे बिगड रहे है। Trust me सूनकर हस्सी आती है। आजकल के parents और teacher बच्चों को reel life , or real life का अंतर नहीं समझा पा रहे है। हम हमेशा जो ठरा चला आ रहा है उस पर कायम , गलती का ठिकरा दूसरे पर फोड़ना। हमारे बच्चे इतने बेवकूफ है की , उन्हें बिना तैरना जाने तालाब में कूदने की आदत , हम यह कहना चाह रहे है। nuclear family में रहना हमें है , और शिकायत art से , मां बाप कमाने जा रहे है तो दादा , दादी कहा है , नाना , नानी कहा है। सच बात बोलू तो , home work ना करके , उठाया गया सवाल है , में अगर teacher होता तो fail करके parents को बुलाता और बोलता बच्चे का ट्यूशन लगाओ । आप बोल रहे है फिल्म में गोली चले पर खून नहीं आना चाहिए क्योंकि खून से बच्चों को problem है। समुद्र की painting बनाओ पर ऊंची लहरें ना दिखाओ क्योंकि ऊंची लहरों में लोग मर जाते है। ——————————————————————————note —- मैं इस विषय पर पूरा easy लिख सकता हूं , पर थोड़ा काम जानकार लोगों पर छोड़ते वो ज्यादा अच्छे समझा सकेंगे। ————————————————————————————————————————————————————#indiangoverment
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