महिला, जबरदस्ती, और अपराध।



अगर सरल भाषा मे बोलू तो जबरदस्ती को हमने बहुत सजा धजा कर बोला है, हम जो वाक्य बोलना चाहते है उस पर शायद कोई objections उठा ले इसलिए नही बोल रहे है।

आजकल तो गुगल सर्च पर भी कुछ वाक्य बैन हो जाते है तो हमने जबरदस्ती को चुना, बाकी समझने वाला जरूर समझ जाऐगा की हम किस पर बात कर रहे है।

अब कहानी शुरू करता हूँ, आजकल एक अपराध बहुत हो रहा है और चाहे अखबार हो या न्यूज़ चैनल कोई ना कोई इस पर चर्चा करते रहते है पर कोई solution पर बात नही कर रहा इसलिए मैंने कोशिश की है इस मुद्दे पर बात करने की।

मै जहाँ रहता हूँ उसके आसपास बहुत मकान बनाने का काम होता है और बहुत सारे मजदूर लोग घुमते मिल जाते है, मैंने एक बात notice की वह यह है सब के सब शादिशुदा है और कम से कम तीन चार बच्चे सबके है और ज्यादातर बच्चियाँ है।

अब जब उन बच्चियों को देखता हूँ तो एक बात स्पष्ट नजर आती है और वह यह है कि इन बच्चियों का भविष्य अंधकार मे है, और आज नही तो कल कोई रसूकदार इन पर अपनी गलत नजर या नियत जरूर डालेगा। अब जब माँ बाप दो पैसे के लिए मोहताज है तो उनके हक पर बात कौन करेगा और जब माँ ही सुरक्षित नही है तो बच्ची कैसे सुरक्षित हो सकती है।

अब यह अपराध होने से पहले की दस्तक है और इसके पीछे माँ बाप नही बल्कि सरकारे जिम्मेदार है क्योंकि वो यह सब होने दे रही है।

अब अगर कोई हो जो इन मजदूर और कामगारों को यह बताए की वह ना सिर्फ अपने बच्चों का भविष्य बिगाड़ रहे है बल्कि साथ साथ society मे crime को भी बढावा दे रहे है।

बच्चि सुरक्षित नही तो जबरदस्ती पक्की और बच्चा पढा लिखा नही तो चोर पक्का, अब इसमें इनकी गलती भी नहीं है अगर पेट खाली हो तो कोई भी इंसान भला बुरा नही सोचता बस पेट भर जाए उस और दौड पड़ता है।

अब कोई तो है जो सरकारी सैलरी ले रहा है परन्तु अपना फर्ज नही निभा रहा, अब अगर इन मजदूर और कामगारों को एक शर्त पर बच्चे पैदा करने दिए जाए कि यह उनकी जिम्मेदारी है की वो अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करे अन्यथा पैदा ना करे यह फालतू suggestions लग सकता है, पर इससे दो फायदे है एक तो हम अपराध होने से पहले उसे रोक रहे हैं, जो कि महिला जबरदस्ती है, और दुसरा रोजगार ना मिलने पर जो बच्चे गलत काम को choose करके सामाजिक अपराध को बढ़ावा दे देते है उस पर भी रोकथाम लग सकती है।

एक जिम्मेदार व्यक्ति होने के नाते जब भी कोई बच्चा गलत करता है दोषी वह नही हम है क्योंकि हमने उसे सही रास्ता दिखाया ही नही।

सरकारों का यह काम है कि वो इन लोगो तक पहूचे और इस प्रथा पर रोक लगाए उनको यह बताए की वह एक अपराध कर रहे है, ना तो वह अपने बच्चे को सुरक्षित भविष्य दे रहे है और साथ साथ सोसाइटी के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ कर रहे है।

अब इसको करने के लिए संरपच बैठे, जिनका फर्ज बनता है कि वो अपने गाँव वालो को सही शिक्षा दे और जरूरत पढने पर सख्त कदम उठाए आखिर उसने संरपच पद की पदवी ली है और सरकार से पैसा भी ले रहा है। अब उसके पास संसाधन की कमी तो है नही की वह अपने गाँव वालो तक नही पहूँच सके।

सरकारों को अब यह सोचना है कि कौन कौन है जो अपना काम और फर्ज सही से नही निभा रहा है।

Note —- महिला जबरदस्ती वही होती है जहाँ रसूकदार को पता होता है माँ बाप कमजोर है, नही तो किसी रईस की बेटी को हाथ लगा कर देखे आज की नारी है वह उसको नानी की याद ना दिला दे तो बोलना।

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