मै कुछ समय से अखबार और सोशल मीडिया मे एक खबर आमतौर पर पढ रहा हूँ, वो है नवयुवक या नवयुवती अपनी जिंदगी को लेकर गलत कदम उठा लेते है और उसके बाद मा बाप पछताते रहते है।

मै कोई विशेषज्ञ तो नही हूँ पर 40 साल के जीवन मै बहुत कुछ अनुभव किया है उसको समाज के प्रति जिम्मेदारी मानकर कुछ अनुभव या सलाह देना चाहता हूँ ताकि यह खबर कम सुनने को मिले।

हम आम तौर पर टी वी प्रोग्राम या सोशल मीडिया पर रील बना कर यह देख लेते है की माँ को या बाप को I Love you बोल देना चाहिए।

पर बच्चों या नौजवान को क्या बोलना चाहिए यह कोई बात नही करता।

सबसे पहले तो हमें यह मानना होगा की बच्चो को गलती करने का पुरा हक है, जबतक वो गलती नही करेंगे वो जीवन के कडवे अनुभव प्राप्त नही करेंगे।

दुसरी सबसे बड़ी बात बच्चा चाहे लडका हो या लड़की हमे हमैशा उन्हें एक विश्वास दिलाना होगा की जीवन मै कितनी भी बड़ी विपदा आ जाए एक दरवाजा हमैशा खुला है और वो है माँ बाप का घर ताकि उन्हें मुसीबत मे किसी और का दरवाजा खटखटाना ना पड़े।

जब माँ बाप बच्चे के पीछे खड़े होते हैं ना तो यकीन मानिए दुनिया की बड़ी से बड़ी ताकत से भी वो लडना सीख जाता है।

तो जब भी आपका बच्चा घर से बाहर निकले और कोई गलती हो जाए तो उसे यह यकीन दिलाए की कोई बात नही यह समय भी निकल ही जाऐगा।

हर बच्चे का परिवार मे किसी ना किसी को support system बनना होगा, ताकि वो बेजिझक अपना सर रखकर बोल सके मुझे बचा लिजीए, चाहे वो चाचा हो, बडे पापा हो, भुआ हो, माँ हो, बाप के लिए मुश्किल है पर नामुमकिन नही, मामा हो, मासी हो कोई भी हो पर हो जरूर और यह ध्यान रखने की जिम्मेदारी माँ बाप की है कि कोई है जिसको मेरा बच्चा अपना support system मानता है।

बच्चे बडे होते है और उन्हें भातिं भातिं के लोग मिलते कभी आपके बच्चे को कोई कडवा अनुभव भी देगा तब आपकी शिक्षा और परवरिश उसे बताऐगी जीवन मे कोई कडवा अनुभव इसलिए आता है ताकि आप पक कर एक पका हुआ घडा बन सके नाकि टुट कर बिखर जाए।

Article बड़ा हो गया है तो संक्षिप्त मे माँ बाप को अपने बच्चे यह विश्वास दिलाने की जरूरत है कि एक दरवाजा है जो कभी भी बंद नही होने वाला है और वो है उनके अपने माँ बाप का घर।

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